Wednesday, February 3, 2010

याददाश्त की डयरी



बा एहतियातन भी
एक गुजरी उडान छलक गयी
तह बना कर रखी थी
महफूज़ एक कोने मैं
ख्याली उड़ानें, जीते जागते सपने
अरामानों की थोड़ी जिंदगी 
और ना जाने क्या क्या
परतें उलटी
तो उडती गर्द मैं
वो कच्चे ख्याल उभर आये
तैरती-उडती कार दिखी
सुना है
सच मैं बना दी है किसी ने !
Fastest century मारने वाला Bat भी मिला
आज तक unused पड़ा है
IIT और NDA की जकेट्स की स्लिप भी मिली
दर्जी पर अब तक
उनका बयाना बाकी है
फटी याददाश्त की डयरी मैं
कुछ दुरस्त वाकिये और दर्ज हैं
जैसे कल के ही हों
जिंदगी के कलाम में
तुम्हे कैद करने की कोशिश
अब भी धुंधली नही हुई 
जब तब फ्द्फ्दाती भी है
पर ना तुम कलाम में दर्ज होती हो
न खवाबों का काफिला बढता है
इसके आगे के सफ्हे इंतजार मैं हैं
ख्वाबों की श्याही के तर होने के ……

हमारी विरासत


आज कल modeling कर रहा हूँ
मेरा show रोज़ होता है , सुबह से शाम
ढंग से सोने भी नहीं देते
Spotlight घूरती रहती हैं रात भर
मेरी झुर्रियों, मेरे अधूरेपन मैं
इन्हें अदाइगी दिखती है
लोग वाह - वाह, विस्मय , शोक बिखेर
भूल जाते हैं
कहते हैं मैं भी कभी 'जीता' था

आज कल modeling कर रहा हूँ
ना करूँ तो मारा जाऊंगा
मेरी दवाई का यही तो सहारा है.....

मजबूर विरासत !!!!

About Me

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Bulandshahr, UP, India
i work on philosophies, i sketch manually but work on computers, i explain a lot and people listen me like teachers, i m technocrat and guide engineers,i own a shop in market and call it office ,I can create walls n fill the gaps ... i m AN ARCHITECT