घर आया तो उलझनों ने दरवाज़ा खोला ....
बैठा ही था की अधूरे सपनों ने आ घेरा ......
बिस्तर पर लेटा तो दर्द भरी यादें पहले से वहां थी ........
उन्हें दिलासा दे वहां से चला ....
नहीं ...
छोड़ कर भागा ......
आज तक भाग रहा हूँ ज़िन्दगी के ठहराव से .....
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