Sunday, November 28, 2010
Friday, November 26, 2010
थोडा यूं ही ...
आज सोचता हूँ
थोडा बिन सोचे यूं ही लिख दूं
थोड़ी श्याही यूं ही जया कर दूं
थोड़े पन्ने यूं ही रंग दूं
थोड़े ख्याल यूं ही उड़ा दूं
आज सोचता हूँ
थोडा यूं ही ....
Monday, November 22, 2010
ख्वाब की हकीकत
वाह!
वो आफरीन मंज़र
अब्र से नाज़ुक
उफ़!
वो कच्चा कलाम
फीकी पनीली श्याही
आह!
वो खालिस ख्याल
हकीकत की मिलावट
हाय!
वो उधड़ता फ़साना
रफू की कोशिश
Sunday, November 21, 2010
बटवारा
पर बटवारा बराबर नहीं हुआ
उसका 'कुछ' मुझमे रह गया
और मेरा 'कुछ' उस मैं अटक गया
मेरे जैसी कसक कभी उसको भी उठती होगी क्या ?
Image Ref: http://www.myfreewallpapers.net/music/pages/pink-floyd-division-bell.shtml
Monday, November 15, 2010
कैद
मैं क्या ..
मेरा अक्स तक
टूट कर बिखर गया
मुख्तलिफ तजुर्मे में
इस भीड़ का
हर पुर्जा मैं हूँ
विक्षिप्त मैं
अदद, फिर एक बार
हमारे अक्सओं की सरहद
घोलने की तम्मना में
तेरे वीरान शहर के
हर कांच की परत में
बा ख़ुशी कैद हो गया
मेरा अधूरा टूटा अक्स !
टूट कर बिखर गया
मुख्तलिफ तजुर्मे में
इस भीड़ का
हर पुर्जा मैं हूँ
विक्षिप्त मैं
अदद, फिर एक बार
हमारे अक्सओं की सरहद
घोलने की तम्मना में
तेरे वीरान शहर के
हर कांच की परत में
बा ख़ुशी कैद हो गया
मेरा अधूरा टूटा अक्स !
Tuesday, November 2, 2010
तकरार
आज लड़ पड़ा 'वो' 'उस' से
अनबन तो ज़माने से थी
पर अपनी शक्सियत के मुगालते में
बस वो फासले गलाता रहा
कितने चौराहों पर खोया
कितना भटका
रंगीन अंधेरों में
मुसलसल तनहा
सुनसान सफ़र में
चाँद से शिकायतें की
पर चाँद का मशकूक अंदाज़
कभी खुश
कभी ग़मगीन
कभी लापता
ना जाने किस-किस से और कहाँ
अनचाहे, अनजाने रिश्ते निभाए
पर कमबख्त फासला है की मरता ही नहीं
पलकों भर का फासला
ज़माने से तय कर रहा था वो
इस बरसात में जक्मी हो
'रास्ते' का वजूद
दम तोड़ गया
आज लड़ पड़ा 'रास्ता' 'मंजिल' से
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About Me
- Tushar Gaur
- Bulandshahr, UP, India
- i work on philosophies, i sketch manually but work on computers, i explain a lot and people listen me like teachers, i m technocrat and guide engineers,i own a shop in market and call it office ,I can create walls n fill the gaps ... i m AN ARCHITECT