Friday, December 24, 2010

एक रेशा ..





एक रेशा 
जो तुम्हे मुझ से जोड़े है 
उसे इतना ना खीचो 
इतना वज़न ना डालो 
तुम्हारे मिजाज़ का 
खिचाव वो सह ना पायेगा 
वो रेशा 
बहुत संजोया है मैंने 
बहुत नाज़ुक है 
अब्र सा 
उसका इम्तहान ना लो 
एक फैसला बुनो 
या तो अपना रेशा
मेरे रेशे में जोड़ 
उसे दम दो 
या मेरे कच्चे रेशे को 
अपने सिरे से खोल 
मुझे आज़ाद कर दो 
अब इम्तहाँ ना लो 

एक रेशा
जो तुम्हे मुझ से जोड़े है
उसे इतना ना खीचो ...

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Bulandshahr, UP, India
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