वो मर गया
शायद आज
या कल
या और पहले
मुझे खबर अभी मिली
अच्छा हुआ
चलता - फिरता चल बसा
खुद अपनी कब्र में मसरूफ हो गया
जीना मुश्किल हो गया था
जितना जीता
उतना तड़पता
लाचार-कमज़ोर
तो था ही
सुन्न भी हो चला था
उठावनी और तरेहवी की
रस्म तो है नहीं
बस थोड़े
सदमे का रिवाज़ है
वो भी धुल जायेगा
चन्द दिनों में
वसीयत में
नाजायज़ जायदाद
मेरे नाम कर गया
और बेदखल कर गया
'अहम' से
मरे से तार्रुफ़ करा दू
दोबारा मुलाकात तो होगी नहीं
'वजूद' था वो
मर गया
शायद आज
या कल
या और पहले
मुझे खबर अभी मिली
1 comment:
umda... ati uttam
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