Friday, December 10, 2010

आखरी जलसा...

 





ए सुनो ..!
रोना धोना बंद करो 
अब ना रोको 
आज़ाद हो जाने दो  

जैसे तैसे 
छूटा हूँ इस बवाल से 
मंजिल आने का 
थोडा जश्न मनाने दो 

जिंदगी भर 
मर मर के जिया हूँ 
अब आखिरकार 
जी के मर जाने दो 


सालों इंतजार के बाद 
महफिल-ए-मय्यत सजी है 
सब मेरे लिए जमा हैं 
उनसे गुफ्तार तो हो जाने दो 

पहियों पे चल
थक चुका हूँ  
कन्धों की सवारी का 
लुत्फ़ उठाने दो 


जिंदगी का शोर
भर चुका है जिस्म मैं 
मौत का सन्नाटा 
कैद हो जाने दो 



ए सुनो ..
रोना धोना बंद करो ..

सूर्यास्त नहीं चन्द्र उदय है 
मेरा आखरी जलसा 



2 comments:

POOJA... said...

please enlarge the font and letters, so it will be easier to read...

Tushar Gaur said...

thanks a lot pooja ji ..
i hope this works now !!

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Bulandshahr, UP, India
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